क्या प्रवर्तन निदेशालय को अगस्ता वेस्टलैंड और डसॉल्ट दोनों डील में एजेंट रहे सुषेन गुप्ता की भूमिका को छिपाने के लिए गुमराह किया जा रहा है?
अनिरुद्ध बहल |
January 31, 2019
{कोबरापोस्ट को रक्षा एजेंट सुषेन मोहन गुप्ता की हाथ से लिखी हुई दो डायरियों के साथ-साथ कुछ अन्य दस्तावेज मिले हैं जो अगस्तावेस्टलैंड और राफेल जैसे बड़े मामलों से उनके संबंधों को स्थापित करते हैं। यहां तक कि ये दस्तावेज इन दोनों समझौतों में सुषेन गुप्ता की मुख्य भूमिका को बयां कर रहे हैं। इन दस्तावेजों से ये भी जाहिर होता है कि रक्षा सौदों और अन्य व्यापारिक मामलों में, अलग-अलग लोगों को किए गए भुगतान में उनके बड़ी भूमिका रही है। ये दस्तावेज सुषेन गुप्ता को हेलिकॉप्टर घोटाले में मुख्य कर्ता-धर्ता के तौर पर पेश कर रहे हैं। हमारे खुलासे के भाग 3 में सुषेन गुप्ता की हाथ से लिखी डायरियों का पूरा विश्लेषण होगा। कोबरापोस्ट डायरी के सभी पन्नों का गहन विश्लेषण कर रहा है। हालांकि, एक प्रारंभिक विश्लेषण से इस बात की पुष्टि होती है कि डायरी में हाथ की लिखावट वास्तव में गुप्ता की है। डायरी का सारांश स्पष्ट रूप से दिखाता है कि गुप्ता अगस्ता वेस्टलैंड और डसॉल्ट (राफेल) दोनों के लिए रक्षा एजेंट रहे हैं। }
डायरी डिफेंस एजेंट की: पार्ट-1
नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 31 जनवरी 2019: पहली बार कोबरापोस्ट को रक्षा एजेंट सुषेन मोहन गुप्ता की हाथ से लिखी दो डायरियां मिली हैं, साथ ही हाथ से लिखे हुए कुछ जरूरी दस्तावेज भी मिले हैं, इनमें कई गुप्त दस्तावेज भी शामिल हैं जिनपर रक्षा एजेंट सुषेन गुप्ता के हस्ताक्षर दर्ज हैं। ये दस्तावेज अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर रिश्वत मामले में चल रहे प्रवर्तन निदेशालय की जांच और उससे भी विवादास्पद राफेल विमान सौदे में उनकी भूमिका की ओर स्पष्ट इशारा कर रहे हैं। अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में सुषेन गुप्ता न केवल मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में सामने आ रहे हैं, बल्कि डसॉल्ट एविएशन के लड़ाकू विमान (राफेल) सौदे में भी उनका नाम प्रमुख तौर पर सामने आ रहा है। मालूम हो कि रफाल के सौदे की वजह से सवालों से घिरी केन्द्र में बीजेपी की सरकार खुद को बचाने में नाकाम साबित हो रही है। ये दस्तावेज़ सुषेन गुप्ता के संबंध अगस्ता हेलिकॉप्टर की दलाली में शामिल गौतम खेतान के अलावा आईडीएस टेक्नोलॉजीज, एयरोमेट्रिक्स, इंटरडेव और मॉरीशस की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज के साथ भी उगाजर करते हैं। जाहिर तौर पर ये सभी कंपनियां और खेतान केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों की जाँच के दायरे में हैं। इन्हीं कंपनियों के द्वारा अगस्ता हेलिकॉप्टर की दलाली में हासिल की गई रिश्वत की राशी को दरबदर किया गया है। दरअसल, आरोपी खेतान को पिछले शुक्रवार को ईडी ने इस मामले में फिर से गिरफ्तार किया था। उन्हें सितंबर 2014 में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था और जनवरी 2015 में जमानत दी गई थी। CBI ने दिसंबर, 2016 में संजीव त्यागी के साथ, गौतम खेतान को फिर से गिरफ्तार किया था। कोबरापोस्ट को मिले ये दस्तावेज़ अगस्ता वेस्टलैंड समझौते के दौरान गैर सरकारी लोगों और सरकारी अधिकारियों को दी गई रिश्वत को भी उजागर करते हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। हालांकि CBI और ED दोनों ही जांच एजेंसियां फर्जीवाड़े की इस गुत्थी को सुलझाने में नाकाम रही हैं, लेकिन इन दस्तावेजों के आधार पर कोबरापोस्ट सुषेन गुप्ता का हाथ इन सौदों में खुले तौर पर साबित करने में सक्षम है । हालांकि शुरूआती जांच में ईडी ने अपनी शिकायत में पाया था कि इस अपराध में गुप्ता के साथ उसके एक पारिवारिक मित्र की भी भूमिका रही है। दिलचस्प बात ये है कि जांच एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें अपना बयान दर्ज कराने के बाद इस केस से फारिग कर दिया। ब्रिटेन वासी हथियार दलाल क्रिश्चियन जेम्स मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड के साथ फरवरी 2010 में 3700 करोड़ रुपये के सौदे में दलाल की भूमिका निभाई थी, इस सौदे के तहत भारतीय वायु सेना (IAF) को VVIPs के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति किया जाना तय हुआ था। क्रिश्चियन जेम्स मिशेल के प्रत्यर्पण के साथ ये सौदा एक बार फिर चर्चा में है। गौरतलब है कि इटली पुलिस ने 2013 में फ़्यूमेकेनिका के पूर्व अध्यक्ष गिउसेप्पे ओर्सी को कथित तौर पर इस सौदे के लिए रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार किया तो इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। जानकारी के लिए आपको बता दें कि AgustaWestland SpA का गठन जनवरी 2004 में हुआ था जब इटली के फ़्यूमेकेनिका और यूके के GKN ने अपनी सहायक हेलीकॉप्टर कंपनियों का विलय किया। घोटाले का पर्दाफाश होने पर यूपीए सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश दिया और वेस्टलैंड कंपनी के साथ हुए करार को रद्द कर दिया। ऐसे में मिशेल का प्रत्यर्पण राफेल विवाद से जनता का ध्यान हटाने की एक कोशिश भी हो सकती है । सुषेन गुप्ता की इन डायरियों और दस्तावेजों के खुलासे से सरकार और जांच एजेंसियों दोनों के मिलीभगत के राज खुल सकते हैं । पहली डायरी की शुरुआत की तारीख, 1 मई, 2008 से है। 200 से ज्यादा पन्नों वाली इस डायरी के कुछ पन्नों पर स्टेपल किए गए नोट्स हैं, तो डायरी के अंदर कुछ खुले दस्तावेज भी हैं। डायरी में 11 से ज्यादा पन्नों में अगस्त वेस्टलैंड और VVIP हेलिकॉप्टरों से जुड़ी जानकारी शामिल हैं। तकरीबन 27 पन्नों में Pratt & Whitney से संबंधित जानकारियां दर्ज हैं... Pratt & Whitney एक एयरोस्पेस कंपनी है जो अगस्त वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर्स को इंजेन मुहैया कराती है। दरअसल India Avitronics, सुषेन गुप्ता के दादा बृजमोहन गुप्ता द्वारा स्थापित कंपनी है, इस कंपनी का Pratt & Whitney के साथ कई दशकों से व्यवसायिक संबंध है। डायरी के 10 पन्नों में डसॉल्ट और राफेल जैट का जिक्र है। खेतान और उसकी कंपनी ओपी खेतान का डायरी के 20 पन्नों में जिक्र किया गया है। आईडीएस, इंटरस्टेलर और गुप्ता की अन्य विदेशी कंपनियों जिनमें सब्बाह और विभिन्न मॉरीशस कंपनियों और और उनके खातों सहित अहम जानकारियां दर्ज है, इनका जिक्र डायरी के सात से ज्यादा पन्नों में किया गया है। इस डायरी में खुले तौर पर त्यागी का नाम भी सामने आ रहा है। ये डायरी गुप्ता के हाथों लिखी गई है ये बात उस वक्त और स्पष्ट तौर पर सामने आती है जब डायरी के 26 से ज्यादा पन्नों में उनके परिवार के होटल और मॉल परियोजनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारियां पाई जाती हैं । डायरी के अंदर खुले दस्तावेजों में से 10 से ज्यादा पर खुद सुषेन गुप्ता के हस्ताक्षर दर्ज हैं। दूसरी डायरी 1 जून 2010 से शुरू होती है क्योंकि इसकी शुरूआत की तारीख डायरी के ऊपर बांय हाथ के कोने पर दर्ज की गई है । आकार में ये डायरी थोड़ी छोटी जरूर है लेकिन इसमें भी दो सौ से ज्यादा पन्ने हैं। पहली डायरी की ही तरह इस डायरी में भी पन्नों के साथ कुछ स्टेपल किए गए नोट्स और कुछ खुले दस्तावेज हैं। इस डायरी में AW डील के बारे नें जानकारियां भी शामिल हैं (डायरी के अंदर पन्नों में एक बैठक का जिक्र भी दर्ज है जहां सौदे को रद्द करने की चर्चा किसी ऐसे व्यक्ति के साथ की जाती है..जो बातचीत से Pratt & Whitney का प्रतिनिधी प्रतीत होता है) डायरी में आगे Pratt & Whitney के संदर्भ में 5 से 6 पन्नों में स्पष्ट रूप से डसॉल्ट डील का जिक्र किया गया है। इसके अलावा डायरी में एक बार फिर गौतम और ओपी खेतान से जुड़े 24 प्रत्यक्ष सुबूत मिले हैं, जबकि IDS और उनकी अन्य विदेशी कंपनियों का पांच बार जिक्र किया गया है। डायरी में एक बार फिर एक ऐसा पन्ना मिला जिसमें सुषेन गुप्ता के पूरे हस्ताक्षरों के साथ कई अन्य लोगों का भी नाम है जिन्होंने उसके साथ काम किया है। डायरी में 10 से ज्यादा पन्ने ऐसे हैं जिनमें गुप्ता के होटल और मॉल परियोजनाओं पर किए गए कार्यों के विभिन्न पहलुओं का विवरण दर्ज है। डायरी में दर्ज इन जानकारियों और हस्ताक्षर से स्थापित होता है कि इस डायरी को खुद सुषेन गुप्ता ने ही लिखा है। दिलचस्प बात यह है कि दूसरी डायरी के छह पन्नों में त्यागियों के बारे में संदर्भ हैं, जिनमें ओल्ड त्यागी और न्यू त्यागी के संदर्भ शामिल हैं। खासतौर से उन पन्नों में जहां त्यागियों के नाम के साथ कई संस्थाओं के नाम भी दर्ज हैं।
हालाँकि, हम यह नहीं जानते कि सुषेन गुप्ता ने किस संदर्भ में डायरी में ये बातें दर्ज की है क्योंकि दस्तावजों में वो बातें बहुत ही सांकेतिक रूप से और संक्षिप्त में लिखी गई हैं। लेकिन फिर भी ये स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार और (Indian Air Force) IAF में टॉप फैसले लेने वालों के साथ बढ़िया सांठगांठ है। डायरी में उनके हाथों लिखे एक नोट में त्यागी, आरआईएल, वीके मिश्रा, आरके शर्मा, पल्लम राजू, वी कृष्णा मूर्ति, वीवी सिंह जैसे नाम शामिल हैं। एक अन्य एंट्री में त्यागी बनाम देशमुख का नाम है जबकि हमें आगे सुभानंद राव और नायक के नाम मिले हैं। डायरी के पन्नों में हमें एसके कौल, एवीएम जैप्पो सिन्हा (एसीएएस प्लान), कपिल काक और अस्थाना जैसे अन्य नाम भी मिले हैं। एक जगह पर सुषेन गुप्ता ने ये भी लिखा है कि “MoU critical. Sun S close to BJP.” एक ही पन्ने में इस तरह की दो एंट्री ध्यान आकर्षित करती हैं जिनमें एक में लिखा है.. “Why only IDS,” जबकि उसी पन्ने पर दूसरी एंट्री में लिखा है कि “Lock down with RIL approval/Equity stakes IDS engg srcs” इस खुलासे के भाग 3 में कोबरापोस्ट डायरियों का विस्तृत विश्लेषण करेगा। हालाँकि, ये कोबरापोस्ट का तर्क नहीं है कि इन डायरियों में जिन लोगों से नाम दर्ज हैं उन संबंधित व्यक्तियों के बारे में नकारात्मक सोच रखी जाए। जांच एजेंसियों को सच्चाई जानने लिए सुषेन गुप्ता से पूछताछ करनी होगी और यहां तक कि जो कुछ भी डायरी में लिखा गया है, उसकी पुष्टि भी करनी होगी। लेकिन रहस्यों से भरी सुषेन गुप्ता की डायरी को देखकर निश्चित तौर पर यही कहा जा सकता है कि जांच एजेंसियों द्वारा गहराई से डायरी को डिकोड करने और अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत कांड की सच्चाई तक पहुंचने के लिए आगे की जांच की जानी चाहिए। जैसा कि पहले भी जिक्र किया गया है कि डायरी के कई पन्नों में कुछ लोगों के नाम भुगतान राशि के साथ दर्ज हैं। डायरी में एक और दिलचस्प एंट्री है जिससे IDS के साथ RIL और DMG के ज्वांइट वेंचर के बारे में पता लगाता है। एक एंट्री में, हमें AW अनुबंध के संबंध में गुप्ता की बैठक के कुछ प्रमुख अंश मिलते हैं। एक बिंदु में कहा गया है, “We are sales, lobby and strategy not necessarily collection agents but we do our best.”
सीबीआई और ईडी दोनों जांच एजेंसियों द्वारा इस जांच की शुरुआत से चार्जशीट में दर्ज किया गया है, एजेंसियों का आधार यह है कि आईडीएस को अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा बढ़े हुए दरों पर आईटी सेवाएं प्रदान करने के लिए अनुबंधित किया गया था और इन लेनदेन का अतिरिक्त हिस्सा मॉरीशस में आईडीएस से इंटरस्टेलर में दिया गया था। इसके अलावा इंटरस्टेलर से रिश्वत का भुगतान करने के लिए लाभार्थियों कि एक बड़ी फेहरिस्त थी। ईडी द्वारा दायर की गई शिकायत के विपरीत कोबरापोस्ट की जांच में ये साफ तौर पर स्पष्ट होता है कि इंटरस्टेलर का मुख्य लाभार्थी सुषेन गुप्ता है। दरअसल, गुप्ता नियंत्रक भी है और मुख्य लाभार्थी भी है।
इंटरस्टेलर और इंटरडेव प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर के साथ अपने संबंधों के बारे में गुप्ता के बयान पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को ध्यान केंद्रित करने की सख्त जरूरत है।
ED: इंटरडेव प्राइवेट लिमिटेड सिंगापुर के निदेशक कौन हैं और कंपनी के दिन-प्रतिदिन के मामलों को कौन देखता है?
Sushen Gupta: मेरा मानना है कि मेरी जानकारी के अनुसार, श्री देव भल्ला इंटरडेव सिंगापुर के मालिक हैं। मुझे लगता है कि वो सारा दिन इंटरडेव के दिनभर के कामों को देखता है। मैं इंटरडेव का शेयरधारक नहीं हूं। श्री देव भल्ला ने Sabhah इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के माध्यम से तीन लेनदेन के जरिए.. अमेरिकन होटल्स और डीएम साउथ इंडिया हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की इक्विटी में निवेश किया है। एफआईआरसी और शेयरधारक प्रमाण पत्र (अनुबंध IV) संलग्न हैं । मैं इंटरडेव प्राइवेट लिमेटेड के दिन-प्रतिदिन के मामलों को नहीं देख रहा हूं। मैं मैसर्स इंटरडेव प्राइवेट लिमिटेड सिंगापुर से जुड़ा नहीं हूं।
ED: मॉरीशस में इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के निदेशक कौन हैं और दिन-प्रतिदिन के मामलों को कौन देखता है? आप इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड मॉरीशस से कैसे जुड़े हैं?
Sushen Gupta: मुझे इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड का कोई ज्ञान नहीं है। मुझे नहीं पता कि इसका निदेशक कौन है। मैं नहीं जानता कि दिन के मामलों को कौन नियंत्रित करता है। मैं इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड से जुड़ा नहीं हूं।
ऐसे में ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि गुप्ता ने कानून में सजा के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए ये जवाब दिए हैं। क्योंकि वो खुद अपने बयान में कहते हैं, “मुझे पीएमएलए 2002 की धारा 50 के प्रावधान के बारे में समझाया गया है। मुझे अब पता चला है कि उक्त प्रावधान के अनुसार यह मेरे लिए सच्चाई बताने के लिए जरूरी है। मुझे ये भी समझ में आ गया है कि झूठे और मनगढ़ंत सबूत देना और सच्चे तथ्यों को दबाना कानूनन अपराध है। कानून के प्रावधान के तहत ऐसा करने पर मैं सजा का भागी हो जाऊंगा” ।
हालाँकि, सच्चाई इससे बहुत दूर है क्योंकि ये हाथ से लिखी हुई डायरी और इसके अंदर रखे दस्तावेज कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं... इन दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि गुप्ता इन कंपनियों के नियंत्रक थे और साथ ही इंटरस्टेलर और इंटरडेव दोनों के प्रमुख लाभार्थी थे। इन दस्तावेजों से इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि उनका संबंध गौतम खेतान, आईडीएस और हथियारों के एक खास दलाल से है, जिसे उन्होंने AV से संबोधित किया है। इसके साथ ही डसॉल्ट एविएशन से भी उनका संबंध जाहिर है। प्राप्त दस्तावेजों में एक एक्सल शीट भी है जिसमें सुषेन गुप्ता का नाम है। इस शीट में आईडीएस ने रक्षा सौदों से जितने भी आय प्राप्त की है उसका ब्यौरा दिया गया है। इस शीट में इन सौदों में AV का हिस्सा भी दिया गया है। इस शीट से यह स्पष्ट है कि गुप्ता आईडीएस का इस्तेमाल 2004 से विभिन्न रक्षा कंपनियों से पेमेंट प्राप्त करने के लिए कर रहे थे।
ये दस्तावेज डसॉल्ट एविएशन से आईडीएस और इंटरस्टेलर के संबंध को स्पष्ट करते हैं और इनके जरिए गुप्ता और उनके परिवार के डसॉल्ट और अगस्ता वेस्टलैंड दोनों से संबंध उजागर होते हैं। एक और पेपर से हमें इटरस्टेलर होल्डिंग पर सुषेन गुप्ता का नियंत्रण होने की जानकारी मिलती है। इस पेपर में इंटरस्टेलर के लेन-देन का ब्यौरा है और गौतम खेतान को दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। ऐसे ही एक और दस्तावेज में अमेरिकन होटल्स और इंडियन एविट्रोनिक्स को चुकाए गए ब्याज का विवरण है। इसमें गुप्ता ने गौतम खेतान को GK से संबोधित किया है। संयोगवश ED ने एक ऐसे ही दस्तावेज को पीएमएलए कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीच का हिस्सा बनाया है। इस दस्तावेज में अलग-अलग लोगों को किए गए भुगतान का ब्यौरा दिया गया है। इसमें दो प्रमुख नाम हैं एक गौतम खेतान (GK) का और दूसरा ग्विडो। इस पेपर पे सारे विवरण गौतम खेतान ने अपने हाथों से लिखे हैं इसकी तस्दीक उनके एक कर्मचारी मनीष जैन ने ED के सामने लिखित रूप में भी की है।
एक और हस्त लिखित लेने-देन के विवरण में खेतान सिंहापुर और आईडीएस का जिक्र किया है। इस शीट पर 20/09/06 की तारीख अंकित है। एक और हस्तलिखित विवरण में खेतान ने लेने-देन का विवरण दिया है। इन विवरणों में आईडीएस Inter MRU और transfer to Inter जैसी प्रविष्टियां की हैं।
एक दस्तावेज में इंटरस्टेलर के खाते से जनवरी 2003 और अप्रैल 2004 के बीच लेन-देन की प्रविष्टियों का विवरण है इससे गुप्ता और इंटरस्टेलर के बीच संबंध स्पष्ट हो जाता है। इस लेने-देन के मुख्य लाभार्थी गुप्ता के ससुर डी. मनोट और City worldwide limited हैं। लेन-देन का एक और दस्तावेज हमारे नज़र में आया है। इस दस्तावेज में सुषेन ने हस्ताक्षर किए हैं और भुगतान के सिलसिले में G से हुई बातचीत का जिक्र किया है इस दस्तावेज के अनुसार कुल मिलाकर 1338600 यूरो का भुगतान किया गया है।
गौरतलब है कि अपनी चार्जशीट में ईडी ने कई दस्तावेज नत्थी किए थे जो उसके अधिकारियों को छापे के दौरान प्राप्त हुए थे। इनमें से एक महत्वपूर्ण दस्तावेज 27/02/2004 का एक परचेजिंग एग्रीमेंट है जो इंटरस्टेलर और इंटरडेव के बीच में होना था। इस अनुबंध पत्र में डसॉल्ट और इंटरडेव के बीच हुए एक करार का जिक्र है। बताते चलें कि इंटरडेव ने गुप्ता परिवार की एक कंपनी डीएम साउथ हॉस्पिटेलिटी में काफी बड़ा निवेष किया है। इस करार से डसॉल्ट, इंटरडेव और गुप्ता के परिवार और उसके ससुरालियों के परस्पर व्यापारिक संबंधों की पुष्टि होती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि गुप्ता ही इंटरस्टेलर के असली नियंत्रक और लाभार्थी थे, जिसके जरिए अगस्ता सौदे से प्राप्त घूस की रकम को दरबदर किया गया था।
एक और दस्तावेज ED को छापे के दौरान प्राप्त हुआ था, इस दस्तावेज में इंटरस्टेलर और ब्लू आईलैंड के बीच एक करार का जिक्र है। यह करार ब्लू आईलैंड के डायरेक्टर सिमोन और इंटरस्टेलर के डायरेक्टर इस्माइल बहेमिया के बीच हुआ था। ये दोनों दस्तावेज ED ने खेतान के कर्मचारी दीपक गोयल से बरामद किए थे। आश्चर्य की बात है कि ED ने बहेमिया की जांच करने की कोई जरूरत महसूस नहीं की। ED की पड़ताल काफी आगे जा चुकी है लेकिन जिस तरह से ED ने गुप्ता को बिना किसी जांच- पड़ताल के छोड़ दिया है उससे इतना स्पष्ट हो जाता है कि या तो ED अपनी जांच-पड़ताल सही तरीके से नहीं कर रही है या उसकी पड़ताल को दूसरी ओर मोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि ED ने अपनी ही जांच को खारिज कर दिया है।
खेतान ने ED को दिए अपने कबूलनामें में आईडीएस ट्यूनिशिया, इंटरस्टेलर सहित ग्विडोह्सके औऱ कारलोजिरोसा से जुड़ी जानकारी भी दी है। उन्होंने अपने कबूलनामें में स्पष्ट रूप से कहा है कि इंटरस्टेलर के मालिक ग्विडोह्सके औऱ कारलोजिरोसा हैँ लेकिन जो भी जानकारी खेताने ने ED को दी है वह पूरा सच नहीं है। हम यहां पर बता दें कि कोबरापोस्ट के पास इन डायरियों की मूल प्रति नहीं है। लेकिन कोबरापोस्ट के रिपोर्टर उन दोनों डायरियों की मूल प्रति खुद देखी है। डायरी के सभी पन्नों का कोबरापोस्ट ने फोरेन्सिक विशेषज्ञ से जांच कराई जा रही है। कुछ दस्तावेजों की फोरेन्सिक जांच के परिणाम कोबरापोस्ट को उपलब्ध हो गए हैं जिनसे ये पता लगता है कि डायरी के कुछ बातें गुप्ता ने अपने हाथ से लिखी हैं। कुछ खुली शीट्स में दर्ज विवरणों का लेखक फोरेन्सिक जांच में खेतान और गुप्ता दोनों का पाया गया है। कोबरापोस्ट ने इस सिलसिले में सुषेन गुप्ता से फोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने डायरी का जिक्र सुनते ही फोन काट दिया, हमने उनको प्रशनावली और व्हाट्सअप मैसेज भी भेजे हैं लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
गौरतलब है कि ED ने 22/11/2016 को पीएमएलए एपिलेट ट्रिब्यूनल में दर्ज अपनी शिकायत में अपनी जांच में प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर स्पष्ट रूप से गुप्ता को अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में शामिल बताया था। इसमें ED ने कहा था कि सुषेन गुप्ता इंटरडेव के असली मालिक हैं और वो आईडीएस से इंटरडेव को फंड्स ट्रांसफर का निर्देश ईमेल से देते रहे हैं। ED आगे कहती है कि ‘हमारा मानना है कि श्री सुषेन गुप्ता इंटरस्टेलर टैक्नोलॉजीज लिमिटेड के जरिए अपराध में हासिल धन के शोधन में लिप्त हो सकते हैं’। इसके बावजूद भी ED ने सुषेन गुप्ता के खिलाफ कोई जांच नहीं की। यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है। इसके मद्देनज़र एक सवाल खड़ा होना लाजमी है: आखिर ED क्या चाहता है ?
Disclaimer: कोबरापोस्ट इस स्थिति में नहीं है वो यह साबित कर सके कि ये हस्त लिखित डायरियां और दस्तावेज किन-किन व्यक्तियों के हाथ से गुजरें हैं। हमें इस दस्तावेजों से जो जानकारियां हासिल हुई हैं वो हम जनहित में यहां प्रकाशित कर रहे हैं। लेकिन इससे पहले हमने इन दस्तावेजों का एक फोरेन्सिक एक्सपर्ट से विश्लेषण करवाया है, हमारा उद्देश्य इन दस्तावेजों में दर्ज जानकारियों को इसलिए सामने लाना है कि इन रक्षा घोटालों की सही तरह से जांच हो और इन घोटालों में शामिल लोगों को दंड मिले।
पाठकगण इस आलेख से जुड़ी सारी जानकारी हमारी वेबसाइट https://Cobrapost.com पर log on कर प्राप्त कर सकते हैं।
If you like the story and if you wish more such stories, support our effort Make a donation.